सम्पादकीय

अलगाववादपर लोकतंत्रकी जीत

प्रणय कुमार गत वर्ष ५ अगस्तको धारा ३७० और अनुच्छेद ३५ए के हटनेके पश्चात हुए जम्मू-कश्मीर विकास परिषदके चुनाव और उसके नतीजोंपर केवल शेष भारत ही नहीं, अपितु पूरी दुनियाकी निगाहें टिकी थीं। स्वतंत्रताके लगभग सात दशकों बाद वहा पहली बार त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली (ग्राम-ब्लॉक-जिला) लागू की गयी है। उसके बादसे ही वहांके आवाममें इस […]

सम्पादकीय

भयावह वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषणसे देशमें जन-धनकी हो रही भारी क्षतिका अनुमान केन्द्र सरकारकी संस्था भारतीय चिकित्सा अनुसन्धान परिषद (आईसीएमआर) की ताजा रिपोर्टसे लगाया जा सकता है, जो अत्यन्त ही भयावह और गम्भीर रूपसे चिन्ताजनक है। लीसेट प्लेनेटरी हेल्थमें प्रकाशित रिपोर्टमें कहा गया है कि वर्ष २०१९ में वायु प्रदूषणके चलते १६ लाख ७० हजार लोगोंको अपनी जानसे […]

सम्पादकीय

कोरोनाने बढ़ायी विषमता

अजीत रानाडे यह वर्षमें प्रवेशके इस अवसरपर व्यापक आर्थिक स्तरपर हवाएं हमारे पक्षमें बहती दिख रही हैं। स्टॉक मार्केट पहलेकी तुलनामें उच्च स्तरपर है। शेयर मूल्य सूचकांक मार्चकी गिरावटके बरक्स लगभग ६० प्रतिशत ऊपर हैं। स्टॉक मार्केटको आगेकी आर्थिक स्थितियोंका सूचक माना जाता है तो यह स्पष्ट रूपसे ठोस आर्थिक पुनरुत्थानको इंगित कर रहा है। […]

सम्पादकीय

बाइडेनसे बेहतर रिश्तेकी उम्मीद

जी. पार्थसारथी अमेरिकी राष्ट्रपति क्लिंटन लीकसे हटकर चीनके साथ संबंध सुधारनेको आतुर थे वहीं जम्मू-कश्मीरकी हालतको बहाना बनाकर भारतके अंदरूनी मामलोंमें दखल देनेसे नहीं हिचक रहे थे। जबकि क्लिंटनके बाद आये जॉर्ज बुश (जूनियर) भारतके साथ सबसे ज्यादा दोस्ताना संबंध रखनेवाले अमेरिकी राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति बुशने भारतपर लगे वैश्विक परमाणु प्रतिबंध हटवानेमें मदद की थी। […]

सम्पादकीय

किसानोंको मोहरा बनाते सभी राजनीतिक दल

रवि शंकर कृषि भारतीय अर्थव्यवस्थाकी रीढ़ है। सभी व्यवस्थाएं अर्थव्यवस्थासे जुड़ी हैं। वर्तमानमें करीब ७० फीसदीसे ज्यादा कृषि आधारित व्यवस्था मुनाफा कमा रहे हैं लेकिन इस खाद्य श्रृंखलामें किसान ही है। उसे प्रकृतिकी मार, बाजारका शोषण, हरित क्रांतिकी दोषपूर्ण व्यवस्था और नयी आर्थिक नीतिका हमला, सब एक साथ झेलना पड़ रहा है। किसानोंकी विपदाका इतिहास […]

सम्पादकीय

ब्रह्मज्ञानका महत्व

बाबा हरदेव दुनियामें जितने भी नाम हैं, वह सभी नाम किन्हीं चीजोंके हैं। केवल नामोंका जिक्र करनेसे हमारा काम नहीं चलता। यदि नामोंका जिक्र करनेसे काम चलता होता तो फिर कौन झोंपड़ीमें रहेगा। एक गरीब भी एक महलका जिक्र करता रहे, एक संगमरमरके मकानका जिक्र करता रहे तो क्या उसको वही सुख साधन प्राप्त हो […]

सम्पादकीय

सैनिकोंका उत्साहवर्धन

चीनके साथ तनावके बीच थल सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणेने पूर्वी लद्दाखमें ऊंचाइयोंपर स्थित विभिन्न अग्रिम चौकियोंका बुधवारको न केवल दौरा किया, अपितु कड़केकी ठण्डका सामना कर रहे भारतीय सैनिकोंका उत्साहवर्धन भी किया। विगत सात महीनेसे क्षेत्रमें चीनके साथ जारी गतिरोधके बीच जनरल नरवणेका यह दौरा काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि चीन कभी […]

सम्पादकीय

चुनाव परिणामोंकी ध्वनि

अवधेश कुमार उमर अब्दुल्लाने कहा कि डीडीसी चुनावोंमें लोगोंने भाजपाको करारा जवाब दिया है। वह इसे धारा ३७० हटाये जानेके खिलाफ जनादेश भी बता रहे हैं। आश्चर्यजनक वक्तव्यपर यदि चुनाव आयोग द्वारा दिया आंकड़ा देखें तो जिस गुपकार गठबंधनको यह लोग शक्तिशाली मोर्चा मान रहे थे, जिसकी किलेबंदी कोई भेद नहीं सकता, कल्पना यह थी […]