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J&K: कांग्रेस में कैंसर बनी गुटबाजी, आजाद व उनके समर्थकों के पार्टी छोड़ने पर भी अंतर्कलह बरकरार


श्रीनगर, : जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी खत्म होने का नाम नही ले रही है। पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद और उनके विश्वस्तों के अलग होने के बाद समझा जा रहा था कि अब कांग्रेस में सबकुछ ठीक है, लेकिन अंतर्कलह नामी कैंसर जाने का नाम नहीं ले रहा है। प्रदेश अध्यक्ष विकार रसूल की पार्टी के वरिष्ठ नेता तारिक हमीद करा और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जीए मीर के साथ पटरी नहीं बैठ रही है। विकार रसूल के खिलाफ भी आवाज उठने लगी है और कांग्रेस में अब मीर करा बनाम विकार रसूल भी होता जा रहा है। हालात काबू करने के लिए सोनिया गांधी ने दिल्ली से मनोज यादव को रसूल की नकेल कसने के लिए तैनात कर दिया है।

कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक विकार रसूल ने प्रदेश कांग्रेस समिति के रिक्त पड़े विभिन्न पदों पर अपने चहेतों को नियुक्त किया है। उन्होंने इस क्रम में कहीं भी पूर्व प्रदेश प्रमुख जीए मीर और पूर्व सांसद तारिक हमीद करा या किसी अन्य वरिष्ठ कांग्रेसी को विश्वास में नहीं लिया है। उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के अध्यक्ष पद की जारी चुनाव प्रक्रिया में मतदान योग्य प्रदेश कांग्रेस के 339 लोगों की सूची कांग्रेस आला कमान को कुछ समय पूर्व प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीए मीर ने भेजी थी। इस सूची को आला कमान ने वापस भेज दिया, क्योंकि इसमें लगभग चार दर्जन ऐसे नेता शामिल थे, जो गुलाम नबी आजाद के साथ कांग्रेस छोड़ चुके हैं।

मौजूदा प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीए मीर को कांग्रेस आला कमान ने सूची भेजते हुए उन सभी नेताओं को चिह्नित करने को कहा जो कांग्रेस छोड़ चुके हैं। उन्हें पार्टी के वफादार नेताओं को महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त करने के साथ ही उनकी सूची आला कमान को भेजने के लिए कहा। विकार रसूल ने प्रदेश कांग्रेस समिति में करीब 150 ऐसे लोगों को शामिल किया है जो नियमों के मुताबिक प्रदेश कांग्रेस समिति का सदस्य नहीं बन सकते। कांग्रेस के संगठनात्मक मामलों के प्रभारी और महासचिव केसी वेणुगोपाल ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की चुनाव समिति को भेजे जाने वाली सूची मांगी तो विकार रसूल द्वारा तैयार सूची भेजी गई। पूर्व सांसद तारिक हमीद करा और जीए मीर ने विकार रसूल द्वारा तैयार सूची पर भी एतराज जताया। इसके बावजूद विकार रसूल अपने फैसले पर डटे रहे।

शशि थरूर ने जम्मू कश्मीर में पार्टी के हालत सोनिया गांधी को बताए

सूत्रों ने बताया कि प्रदेश कांग्रेस में जारी इस खींचतान को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहे शशि थरूर को उनके समर्थकों ने सूचित किया। थरूर ने उसी समय सोनिया गांधी को एक ईमेल भेजा और फोन पर भी उनसे बातचीत की। सोनिया गांधी ने मामले का संज्ञान लिया और केसी वेणुगोपाल को निर्देश दिया कि वह जम्मू कश्मीर कांग्रेस में अनुशासन बहाल करते हुए अंतर्कलह पर काबू पाएं। इसके बाद कांग्रेस आला कमान ने संयुक्त सचिव मनोज यादव को जम्मू कश्मीर भेजा। जम्मू कश्मीर मामलों की प्रभारी रजनी पाटिल को नहीं हटाया गया है, बल्कि उनके अधिकार कम करते हुए मनोज यादव को उनके साथ अटैच कर दिया गया है।

बडगाम व श्रीनगर में जिला कांग्रेस समिति के अंतरिम अध्यक्ष पर भी मतभेद

बताया जा रहा है कि विकार रसूल ने अपने दो चहेतों मुजफ्फर डार और इम्तियाज खान को बडगाम व श्रीनगर में जिला कांग्रेस समिति का अंतरिम अध्यक्ष बनाया है। इनकी नियुक्ति को लेकर भी मीर व करा खुश नहीं है। करा और मीर के करीबियों ने बताया कि जब जिला इकाइयों के नए प्रधान नियुक्त करने के मुद्दे पर बैठक हुई थी, उसमें मुजफ्फर और इम्तियाज दोनों का नाम कहीं नहीं था। बाद में रजनी पाटिल की मदद से विकार रसूल ने इन्हें जिला प्रधान बना दिया। उन्होंने बताया कि कश्मीर में विकार रसूल को लेकर कई अन्य कई पुराने कांग्रेसी नेता भी नाराज हैं। वह उन्हें नौसिखिया मानते हैं।

आजाद का करीबी होने के कारण भी खटकते हैं विकार रसूल

करा और मीर के करीबियों के माने तो जब प्रदेश कांग्रेस को बदलने की बात हो रही थी तो उस समय प्रो. सैफुद्दीन सोज और तारिक हमीद करा का नाम लिया जा रहा था। तारिक हमीद करा को अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना ही सबसे ज्यादा प्रबल थी। बाद में विकार रसूल अध्यक्ष बन गए। विकार रसूल को गुलाम नबी आजाद का भी करीबी माना जाता है। इसलिए भी कई कांग्रेसी उनके हक में नहीं हैं। वह मानते हैं कि देर सवेर विकार रसूल अपने पुराने आका गुलाम नबी आजाद के साथ जा मिलेंगे। विकार रसूल को अध्यक्ष बनवाने में आजाद और रजनी पाटिल की भूमिका अहम रही है।

प्रदेश अध्यक्ष विकार रसूल ने अंतर्कलह की बात को अफवाह बताया

विकार रसूल ने पार्टी के भीतर किसी तरह की अंतर्कलह की खबरों को खारिज करते हुए कहा कि यह उन लोगों द्वारा फैलाई गई अफवाह है जो नहीं चाहते कि कांग्रेस यहां मजबूत हो। उन्होंने कहा कि मैंने किसी को अपनी मर्जी से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव में मतदान के लिए डेलीगेट नहीं बनाया है। जो भी कांंग्रेस नेता कांग्रेस का सदस्य बनने के इच्छु़क 100 लोगों को सदस्य बनाता है, वह डेलीगेट बन सकता है। गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोड़ने के बाद हमने उन्हीं लोगों को डेलीगेट की सूची में शामिल किया है जिन्होंने संबधित नियमों को पूरा किया है। मैने किसी भी जिलाध्यक्ष नहीं बनाया है बल्कि दो अंतरिम अध्यक्ष हीबनाए हैं ताकि नियमित नियुक्ति तक संगठनात्मक गतिविधियों को जारी रखने में दिक्कत न हो।