डा. संजय कुमार दुबे हम बापूका ७३वां शहदत दिवसके रूपमें भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए महान वैज्ञानिक आइंस्टीनके उस विचारको याद करते हैं, जिसमें उन्होंने गांधीजीके बारेमें कहा था कि आनेवाली नस्लें शायद ही यकीन कर पायें कि हाड़-मांससे बना कोई ऐसा व्यक्ति भी इस धरतीपर चलता-फिरता था। अपने सकारात्मक विचारोंसे पूरी दुनियाको प्रभावित कर सत्य […]
सम्पादकीय
सद्गुरु की कृपा
बाबा हरदेव परब्रह्मïको निरंकार कहकर हम किसी नये मतका प्रचार नहीं कर रहे जिसे वेदों शास्त्रोंमें निरंकार कहकर पुकारा गया है, हम उसे ही निरंकारके नामसे याद करते हैं। निराकार और निरंकारमें केवल भाषाका ही अन्तर है। अर्थ दोनोंका एक ही है। यह निरंकार प्रभु पत्ते-पत्ते, डाली-डालीमें समाया हुआ है। कोई जगह ऐसी नहीं, जहां […]
गणतंत्र और चुनौतियां
अनेक चुनौतियों और विषम परिस्थितियोंके बीच आज पूरा देश भारतीय गणतंत्र दिवसका ७२वां उत्सव मना रहा है। देश और विदेशोंमें प्रवास कर रहे भारतीय हर्ष और उल्लासके साथ इस उत्सवमें सहभागिता कर रहे हैं। स्वतन्त्र भारतके इतिहासमें यह पहला अवसर है जब कोरोना वैश्विक महामारीकी चुनौतियोंका सामना करते हुए हम पूरे जोश और उत्साहके साथ […]
भारतका चरित्र रहा है लोकतंत्र-अवधेश कुमार
भारतमें जब भी लोकतंत्र और संसदीय प्रणालीकी चर्चा होती है, उसका स्रोत ब्रिटिश सरकारको ही जाता है। वर्तमान संसदीय प्रणाली आधारित हमारा लोकतंत्र लगभग ब्रिटिश प्रणालीपर आधारित है। जिस तरह ब्रिटेनमें कॉमन सभा और लार्ड सभाके रूपमें दो सदन है वैसे ही हमारे यहां लोकसभा एवं राज्यसभा है। अंग्रेजोंकी पूरी कल्पना और उसका साकार रूप […]
गणतंत्रपर हावी होता आरक्षण
डा. शंकर सुवन सिंह आजादीके बाद देशको चलानेके लिए संविधान लिखा गया, जिसे लिखनेमें पूरे दो वर्ष ११ महीने और १८ दिन लगे। २६ जनवरी १९५० को सुबह १०.१८ मिनटपर भारतका संविधान लागू किया गया। भारतमें २६ जनवरी १९५० को सुबह १०.१८ मिनटपर भारतका संविधान लागू किया गया था और इसी उपलक्ष्यमें हम २६ जनवरीको […]
गणतंत्र दिवसकी ऐतिहासिकता
योगेश कुमार गोयल भारतका संविधान २६ जनवरी, १९४९ को अंगीकृत किया गया था और कुछ उपबंध तुरंत प्रभावसे लागू कर दिये गये थे लेकिन संविधानका मुख्य भाग २६ जनवरी, १९५० को ही लागू किया गया, इसीलिए इस तारीखको संविधानके प्रारंभकी तारीख भी कहा जाता है और यही वजह थी कि २६ जनवरीको ही गणतंत्र दिवसके […]
शाश्वत सुख
-डा. गदाधर त्रिपाठी केवल मनुष्य ही नहीं, इस धरतीका प्रत्येक प्राणी सुख चाहता है और अपने पूरे जीवनमें जो भी कार्य करता है, वह सभीका सभी केवल सुख पानेके लिए ही करता है। हां, यहांपर निश्चयात्मक रूपसे इस विषयमें तो कुछ नहीं कहा जा सकता कि मनुष्येतर जीव किसे सुख मानता है और उसे कैसे […]
जयंतीके बहाने राजनीति
बंगाल चुनावको लेकर तृणमूल कांगे्रस और भाजपाने पूरी तरहसे कमर कस लिया है। यही वजह रहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोसकी १२५वीं जयन्तीपर प्रधान मंत्री मोदीसे लेकर पश्चिम बंगालकी मुख्य मंत्री ममता बनर्जीने श्रद्धांजलि अर्पित कर राजनीतिक शक्तिका जिस प्रकार सिंहनाद किया, वह सोचनेपर विवश करता है। ममता बनर्जीने जहां नौ किलोमीटर लम्बे रोड शो […]
अर्थव्यवस्था और मांगका सुचक्र
डा. भरत झुनझुनवाला आगामी बजटकी मुख्य चुनौती रोजगार बनाने एवं जमीनी स्तरपर बाजारमें मांग बनानेकी है जो एक दुष्कर कार्य है। फि र भी इस कार्य को किया जा सकता है यदि सरकार अपनी आय और खर्च दिशामें बदलाव करें। मेरे सुझाव इस प्रकार हैं। वर्तमान वर्ष अप्रैल २०२०से मार्च २०२१ कोविडके कारण असामान्य रहा […]
जीव संरक्षणसे ही प्रकृतिकी रक्षा
हृदयनारायण दीक्षित कोरोना महामारीके बाद अब बर्डफ्लूका संकट है। पक्षियोंके मांससे खाना बनानेवाले तमाम होटलोंका व्यापार घटा है। नए भोजन विशेषज्ञ पैदा हो रहे हैं। वह समाचार पत्रोंमें पक्षियोंका मांस खानेकी तरकीब बता रहे हैं कि एक खास डिग्री तापमानपर उबालने या भोजन बनाने से बर्डफ्लूका खतरा नहीं रह जाता है। उधर चिकित्सक चिडिय़ोंके मांसको […]