सम्पादकीय

रक्षकसे भक्षक बननेका मामला

अवधेश कुमार मुकेश अंबानीके घर एंटीलियाके सामने जिलेटिनवाली स्कॉर्पियोपर कोई बात नहीं कर रहा है। पूरा मामला घूम कर मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकारके ईर्द-गिर्द खड़ी हो गयी है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईएके हाथमें आते ही मामला जिस ढंगसे परत-दर-परत खुलता और विस्फोटक बनता जा रहा है वह अचंभित करनेके लिए पर्याप्त है। मुंबई पुलिसके […]

सम्पादकीय

कोरोना कालमें शिक्षा व्यवस्था

राजेश माहेश्वरी एक वर्षमें देशवासियोंने कोरोनासे बचनेकी कला तो सीखी है और स्वदेशी वैक्सीनसे देशभरमें टीकाकरण अभियान जारी है। उद्योग जगत, सामाजिक आर्थिक क्षेत्रके साथ एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र इस वायरससे बुरी तरह प्रभावित हो रहा है वह है शिक्षाका। इसमें दो राय नहीं कि सरकार, शिक्षण संस्थानों और तमाम दूसरी संस्थाओंने कोरोना संकटके बीच […]

सम्पादकीय

वर्षा जल संचयनकी आवश्यकता

 डा. अम्बुज विश्व दो-तिहाई जलके बावजूद भी भयंकर जल संकटसे जूझ रहा है, जबकि ‘पृथिव्याम्ï त्रीनि रत्नानि जल मन्नाम्ï सुभाषितम्ïÓ का उल्लेख सदियों पहले शास्त्रों द्वारा किया गया जिसके अनुसार जलको पृथ्वीके त्रिरत्नोंमेंसे एक माना गया है। जल पंचतत्वोंमें एक है जो जीव निर्माण एवं जीवनमें सहायक है। जलके बिना जीवनकी कल्पना ही नहीं की […]

सम्पादकीय

पछतावा 

अरुण सहगल जीवन एक ऐसा अनुभव है जो हमें मिला-जुला अहसास करवाता है। बहुतसे लोगोंके लिए यह उपलब्धियां और अवसर लेकर आता है तो कुछ ऐसे भी हैं जो इन अवसरोंको खो देनेका दुख या पछतावेको पूरी जिंदगी संभावल कर रखते हैं। वे इन नकारात्मक भावनाओंका बोझ ताउम्र ढोते ही रह जाते हैं। लेकिन इन […]

सम्पादकीय

उत्थानके विकल्प

सर्वोच्च न्यायालयने मराठा आरक्षण मुद्देपर गम्भीर सवाल खड़ा किया कि किसी भी वर्गको आगे लानेके लिए सिर्फ आरक्षण ही क्यों? पिछड़े वर्गोंके उत्थानके लिए आरक्षणके बजाय और विकल्प क्यों नहीं हो सकते। शिक्षाको आगे बढ़ानेके लिए और संस्थानोंकी स्थापना की जा सकती है। राज्य सरकारोंको इसपर गम्भीरतासे विचार करनेकी जरूरत है। मराठा कोटा मामलेकी सुनवाईके […]

सम्पादकीय

ममताकी बदलती रणनीति

ए. कुमार  तृणमूल कार्यकर्ताओं और समर्थकोंके एक वर्गकी आक्रामकता देखी जा सकती है। दो राय नहीं कि ममताको चोट लगी। उन्होंने रणनीतिके तहत लोगोंकी सहानुभूति पाने तथा अपने कार्यकर्ताओंको भाजपाके खिलाफ आक्रामक करनेके लिए इसका उपयोग भी किया है। बयान दे दिया कि उनपर चार-पांच लोगोंने हमला किया। वहांसे कोलकाता अस्पताल जाते, अन्दर बिस्तरपर सिर […]

सम्पादकीय

अमेरिका है हमारा कर्जदार

विष्णुगुप्त  अभी हमारे बीच राष्ट्र गौरवका अद्भुत क्षण उपस्थित हुआ। हालांकि गौरवके क्षणपर देशमें विस्तृत चर्चा नहीं हुई। राजनीति खामोश रही। आम जनताको उस गौरवसे जुड़ी खबरसे वचिंत रखा गया। जबकि इसपर विस्तृत चर्चा अपेक्षित थी। राजनीतिमें इस खबरपर खामोशी गंभीर चिंताका विषय है। देशमें छोटे-छोटे नकरात्मक विषयोंपर भी, जिससे न तो देशकी उन्नति जुड़ी […]

सम्पादकीय

भ्रष्टाचार समाप्ति बिना विकास बेमानी

श्यामसुन्दर मिश्र हमारे नीति-नियंता एवं देशके कर्णधारोंने देशके बैंकिंग एवं औद्योगिक क्षेत्रोंमें उल्लेखनीय प्रगति करते हुए यह मान लिया है कि  देश शीघ्र ही विश्वकी आर्थिक महाशक्तियोंमें शुमार हो जायगा। किन्तु विचारणीय है कि क्या आर्थिक प्रगतिसे ही आम जनताको सुख-शान्ति एवं सुरक्षा मिल जाती है। कटु सत्य है कि जबतक आम इनसानको रोटी-कपड़ा-मकान एवं […]

सम्पादकीय

पंचतत्वका सम्मान 

अनिरुद्ध जोशी हिन्दू धर्मके अनुसार हमारा ब्रह्मांड, धरती, जीव, जंतु, प्राणी और मनुष्य सभीका निर्माण आठ तत्वोंसे हुआ है। इन आठ तत्वोंमेंसे पांच तत्वको हम सभी जानते हैं। हिन्दू धर्मके अनुसार इस ब्रह्मांडकी उत्पत्ति क्रम इस प्रकार है। अनंत, महत्, अंधकार, आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी। अनन्त जिसे आत्मा कहते हैं। पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, […]

सम्पादकीय

परिवारोंपर आर्थिक बोझ

कोरोना संकट कालमें एक वर्षके दौरान देशमें परिवारोंकी आर्थिक स्थिति भी गम्भीर रूपसे प्रभावित हुई है। लोगोंपर कर्जका बोझ बढ़ा है, बचत घटी है और क्रयशक्ति भी कमजोर हुई है। भारतीय रिजर्व बैंककी ताजा रिपोर्टमें भारतीय परिवारोंकी आर्थिक स्थितिका जो चित्रण किया गया है, वह काफी चिन्ताजनक है। चालू वित्त वर्षकी दूसरी तिमाहीमें परिवारोंका कर्ज […]